रायपुर। NHMMI हॉस्पिटल द्वारा ब्लू बेबी सिंड्रोम से ग्रसित 5 वर्षीय बच्ची का कार्डियक साइंस की टीम ने बेहतर इलाज कर एक नया जीवनदान दिया है। ब्लू बेबी सिंड्रोम एक ऐसी स्थिति है जो रक्त में कम ऑक्सीजन के स्तर के परिणाम स्वरूप शिशुओं में साइनोसिस का कारण बनती है। इसमे त्वचा, नाखून, होंठ और आंखों के आस-पास प्रभावित होते हैं। इस बीमारी में त्वचा का रंग नीला या भूरा रंग का होता है।
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बता दें कि कार्डियक साइंस की टीम ने बच्चे के स्वास्थ्य को पुनः प्राप्त करने में सफल रही है। सर्जरी के बाद में 2 सप्ताह से अधिक के इंतजार के बावजूद इसमें सुधार नहीं हुआ। तब सीनियर इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डी सुमंता शेखर पाढ़ी ने एक जटिल लेकिन प्रभावी समाधान प्रस्तावित किया। जिसे लैपट बंडल पेसिंग याने पेस मेकर इम्प्लांटेशन कहा जाता है। चुंकी बच्चों के लिए कोई समर्पित उपकरण उपलब्ध नहीं है।
इसलिए बच्चों के लिए इस तरह की प्रक्रियाएं बहुत सीमित सेंटरों में की जाती है और इसके लिए बहुत उच्च स्तर के कौशल और विशेषज्ञता की आवश्यकता होती है। डॉक्टरों के इस प्रयास के बाद अब बच्ची एकदम स्वस्थ और सामान्य जीवन जी पाएगी।
वहीं बच्चे के परिजनों की आर्थिक स्थिति को देखते हुए ईलाज निशुल्क किया गया। जो की बाहर अन्य अस्पतालो में 4 से 5 लाख रुपए खर्च हो सकता था।