*विराट दीपमहायज्ञ में इक्कीस सौ दीपकों से यज्ञशाला हुआ रोशन,अखिल विश्व गायत्री परिवार का संदेश दीपकों के प्रकाश की तरह जन जन के विचारों में हो क्रांति का सूत्रपात,युग निर्माण के मशाल के नीचे हर वर्ग का हो समावेश।* Munadi

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बगीचा,03 जनवरी 20223/ गायत्री परिवार बगीचा द्वारा आयोजित 24 कुंडीय गायत्री महायज्ञ के तृतीय दिवस विराट दीप महायज्ञ का आयोजन किया गया है।शांतिकुंज हरिद्वार की ब्रह्म वादिनी बहनों की टोली के द्वारा वैदिक मंत्रोच्चार के साथ दीप प्रज्वलन कराया गया।दीपमहायज्ञ में 2100 दीपकों से यज्ञशाला को सजाया गया।कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्रद्धेय जगदीश पाठक ने आशीर्वचन देकर सभी को अनुग्रहित किया।

दीपमहायज्ञ के तत्व दर्शन को समझाते हुए श्यामा जीजी ने दीपक के प्रकाश की तरह ज्ञान प्रकाश को जन जन तक पंहुचाने की बात कही।उद्बोधन में उन्होंने बताया कि नारी राष्ट्र की जननी है।नारी के कारण ही प्रकृति का सृजन हुआ है।नारी में हीं सृजन का गुण है।जिसके कारण पुरी सृष्टि का संचालन हो रहा है।

उक्त दीपमहायज्ञ में नगर गांव से आए महिलाओं के द्वारा घरों से पांच दीपकों की थाली सजाकर लाया गया था। नारी शक्ति के महत्व के श्यामा जीजी ने पांच दीपकों के महत्व को बताया।उन्होंने कहा कि धर्माचार्य के रुप मे पहला दीपक है जो समाज में ज्ञान का प्रकाश फैलाता है।दूसरा दीपक राजनेता के रुप में है जो राष्ट्र को समुन्नत व सशक्त बनाने के लिए सतत कार्यशील रहते हैं।तीसरा दीपक धनाढ्य वर्ग के लिए जिनके धन का सदुपयोग समाज के निमित्त होता है।चौथा दीपक वैज्ञानिक प्रबुद्ध वर्ग के लिए जिनके कारण समाज में वैचारिक क्रांति आती है।पांचवा दीपक कलाकार के रूप में जो अपनी कलाकारी से विश्व की दशा दुर्दशा व खुशी के पलों को समाज के सामने लेकर आते हैं।
जब यह पांचों दीपक समाज में जलते रहते हैं तो समाज समुन्नत बनता है समृद्धि आती है।खुशहाली आती है।आज इन्हीं दीपकों को जलाकर हमें संदेश देना है कि हर वर्ग अपने कर्तव्य के प्रति सजग हों जागरुक हों।धर्म,संस्कृति की रक्षा के लिए अपने साधन, संपदा, प्रतिभा,समय व श्रम का अंश राष्ट्र को समर्पित करें।

कार्यक्रम में मुख्य यजमान के रुप मे संतोष अमिता सोनी ने दीप महायज्ञ का पूजन सम्पन्न किया।


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