सरकार का बड़ा फैसला, अब ACB और EOW करेगी राजधानी के अधूरे

CG News Today



 

रायपुर। राजधानी रायपुर के अधूरे पड़े स्काई वॉक पर भूपेश सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए ACB और EOW को इसकी जांच की जिम्मेदारी सौंपी हैं। करोड़ों रुपयों की लागत से बनाए जा रहे स्काई वॉक के निर्माण का काम प्रदेश में बीजेपी के शासनकाल के दौरान शुरू हुआ था, जो अब तक पूरा नहीं हो पाया है।  बल्कि समय के साथ जर्जर होता जा रहा हैं, निर्माण के समय से ही इसकी उपयोगिता और निर्माण में अनियमितता को लेकर विपक्ष द्वारा सवाल उठाये जा रहे थे।

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PFIC के माध्यम से परीक्षण किया जाता है

बता दें कि 77 करोड़ की स्काई वॉक परियोजना का जान बूझकर 2 बार में प्राक्कलन तैयार किया गया, ताकि PFIC से मंजूरी की आवश्यकता न रहे। किसी भी परियोजना के जन हित के संबंध में PFIC के माध्यम से परीक्षण किया जाता है, जिसे स्काई वाक निर्माण प्रकरण में दरकिनार किया गया था। इसी अनियमितता और निर्माण में भ्रष्टाचार की आशंका के चलते ACB और EOW से सरकार ने जाँच करवाने का फैसला लिया हैं।

गौरतलब हैं कि सितम्बर माह में कांग्रेस प्रवक्ता आरपी सिंह ने सीएम बघेल से मुलाकात कर स्काई वॉक में भ्रष्टाचार और अनियमितता को लेकर 8 बिंदुओं पर जानकारी दी थी।

इसमें तत्कालीन बीजेपी सरकार के पीडब्ल्यूडी मंत्री राजेश मूणत पर स्काई वॉक के नाम पर ठेकेदार को लाभ दिलाने और प्रशासनिक प्रक्रिया को दरकिनार करने का आरोप लगाया था।

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जांच करवाने का सुझाव सरकार को दिया था

इस दौरान आरपी सिंह ने तत्कालीन मंत्री राजेश मूणत पर आरोप लगते हुए कहा था कि बिना किसी आवश्यकता के रायपुर शहर में एक स्काई वॉक बनाने का प्रोजेक्ट अपने रसूख का प्रयोग करके पास करवा दिया, जिसका कोई औचित्य या आवश्यकता ही नहीं थी।  वहीं राजेश मूणत ने सुप्रीम कोर्ट के रिटायर न्यायाधीश से इसकी जांच करवाने का सुझाव सरकार को दिया था।

पूर्व में स्काई वॉक के संबंध में निर्णय लेने के लिए कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक सत्य नारायण शर्मा की अध्यक्षता में 22 सदस्यीय कमेटी बनाई गई थी। बैठक भी हुई , जिसमें शामिल पीडब्ल्यूडी के अफसर और विशेषज्ञ सर्वसम्मति से स्काईवॉक को नहीं तोड़ने का फैसला लिया था।

अब तक करोड़ों पैसे लग चुके हैं

सभी सदस्यों ने माना था कि स्काईवॉक में अब तक लगभग 45 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं। 31 करोड़ रुपए और खर्च करके इसे पूर्ण किया जा सकता है। लेकिन इस बैठक के बाद भी जमीनी स्तर पर कोई कार्य नहीं शुरू हुआ. तब से स्काई वॉक जस का तस अधूरा खड़ा हुआ हैं।  जो समय के साथ जर्जर भी होते जा रहा हैं।

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