हस्ताक्षर नहीं होने से सर्वआदिवासी समाज आक्रोशित, 27 दिसंबर को करेगी राजभवन का घेराव

CG News Today



 

रायपुर। राज्य सरकार ने भले ही राजभवन के सवाल का जवाब भेज दिया है। लेकिन अब इन्तजार राज्यपाल के हस्ताक्षर का किया जा रहा है। क्योंकि अब तक आरक्षण विधेयक पर हस्ताक्षर नहीं होने के कारण सर्व आदिवासी समाज बिफरे हुए है। अब सर्व आदिवासी समाज 27 दिसंबर को राजभवन घेराव करने  की तैयारी में है। इसमें बड़ी संख्या में प्रदेशभर से आदिवासी समाज के लोग शामिल होंगे।

बता दें कि इस मामले में समाज के पदाधिकारियों ने पहले ही राज्यपाल को अल्टीमेटम दे दिया था। सर्व आदिवासी समाज युवा प्रभाग के प्रदेश अध्यक्ष कुंदन सिंह ने बताया कि 2 दिसंबर को आरक्षण विधेयक विधानसभा से सर्वसम्मति से पारित किया गया है लेकिन एक महीना होने जा रहा है। इस पर राज्यपाल ने अभी तक हस्ताक्षर नहीं किया है। इसके पहले भी राज्यपाल को आग्रह किया गया था, लेकिन राजभवन से इस पर कोई पहल नहीं किया जा रहा है। इसके कारण हमारे सर्व आदिवासी समाज के लोग काफी चिंतित हैं और 27 दिसंबर को राजभवन घेराव करने का फैसला लिया गया है। घेराव को लेकर सीएम ने कहा कि आदिवासी समाज अपने हक़ के लिए लड़ाई लड़ रहे हो तो गलत नहीं कर रहे हैं।

राज्य में आरक्षण का नया रोस्टर लागू नहीं

आरक्षण के संबंध में हाईकोर्ट के फैसले के बाद फिलहाल राज्य में आरक्षण का नया रोस्टर लागू नहीं है। सामान्य प्रशासन विभाग ने भी सूचना का अधिकार के तहत दिए गए एक जवाब में इसे स्वीकार किया है। अब आदिवासी सहित अन्य समाज के लोगों की नजर राज्यपाल की ओर है। राज्यपाल अनुसुइया उइके जब संशोधन विधेयक में दस्तखत करेंगी तो आरक्षण लागू हो पाएगा। फिलहाल राज्यपाल ने राज्य सरकार से दस बिंदुओं पर जवाब मांगा है।

कार्यकारी अध्यक्ष बीएस रावटे  ने कहा- आदिवासी समाज को कर रहे गुमराह

छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज, जिसके अध्यक्ष सोहन पोटाई और कार्यकारी अध्यक्ष बीएस रावटे हैं, की ओर से एक विज्ञप्ति जारी कर राज्य सरकार से आदिवासी समाज को 32 प्रतिशत आरक्षण देने के लिए अलग से अध्यादेश या विधेयक लाने की मांग रखी है। समाज के कार्यकारी अध्यक्ष बीएस रावटे का कहना है कि राज्य सरकार आदिवासी समाज को दुर्भावनावश गुमराह करने और लड़ाने की कोशिश कर रही है। आदिवासियों के संरक्षक राजभवन के विरुद्ध स्तरहीन और अवैधानिक टिप्पणियां कर रहे हैं।

इधर, छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज के युवा प्रभाग के प्रदेश अध्यक्ष कुंदन सिंह ठाकुर के नाम से एक पत्र जारी हुआ है। इस पत्र में 27 दिसंबर को राजभवन के घेराव का आह्वान किया गया है। पत्र में लिखा है जैसा कि हम सब आदिवासी समाज जानते हैं कि महामहिम रजायपाल ने आश्वस्त किया था कि 32 प्रतिशत आरक्षण विधेयक जैसे ही विधानसभा में पास होगा, वैसे ही वे तुरंत हस्ताक्षर कर देंगी।

आज 22 दिन बाद भी राज्यपाल ने हस्ताक्षर नहीं किया है। इससे समाज आहत और उद्वेलित है। आदिवासी समाज इसे बर्दाश्त नहीं करेगा। राज्यपाल के हस्ताक्षर की मांग को लेकर 27 दिसंबर को सुबह 11 बजे से राजभवन घेराव का कार्यक्रम आयोजित है।

वहीं जब बीएस रावटे से इस विषय पर बातचीत की गई तो उनका कहना था कि यह राज्य सरकार की मदद से चलने वाला संगठन है।

सर्व आदिवासी समाज की ओर से बैठकें की जा रही हैं।

राज्य सरकार यदि मांगों पर जल्द फैसला नहीं लेती तो आने वाले समय में छत्तीसगढ़ बंद किया जाएगा। आरक्षण की लड़ाई जारी रहेगी।

10 बिंदुओं का जवाब राज्य सरकार देगी

राज्यपाल अनुसुइया उइके ने स्पष्ट किया है कि राज्य सरकार की ओर से दस बिंदुओं पर जवाब आएगा तो वे उससे सहमत होने के बाद दस्तखत कर देंगी। वे चाहती हैं कि जो भी विधेयक पारित हो, उसमें फिर अदालत में चुनौती न दी जा सके। इस पर सीएम भूपेश बघेल ने कहा है कि राज्यपाल यदि अड़ी रहेंगी तो वे विभागों की ओर से जानकारी भेजने के लिए तैयार हैं। वे चाहते हैं कि राज्य के युवाओं का कोई नुकसान नहीं होना चाहिए। हालांकि संवैधानिक प्रक्रिया के जानकार छत्तीसगढ़ विधानसभा के पूर्व प्रमुख सचिव देवेंद्र वर्मा का कहना है कि विधानसभा से विधेयक पारित होने के बाद विधानसभा और राजभवन के बीच का विषय होता है। इसमें हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता।