
छत्तीसगढ़ में माता कौशल्या की जन्मस्थली चंद्रखुरी में जल्द ही भव्य मंदिर का निर्माण शुरू होगा। इस दौरान मंदिर के मूल स्वरूप में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। वहीं, 15 करोड़ रुपए की लागत से विकास कार्य भी होंगे। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि सौंदर्यीकरण कार्य का भूमिपूजन 22 दिसंबर को हो गया है। अब निर्माण कार्य अगस्त के तीसरे सप्ताह से शुरू हो जाएगा।

मुख्यमंत्री बघेल रायपुर के पास स्थित माता कौशल्या के मंदिर में बुधवार को पत्नी मुक्तेश्वरी बघेल और परिवार के सदस्यों के साथ दर्शन के लिए पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने पूजा-अर्चना कर प्रदेश की खुशहाली और समृद्धि की कामना की। मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ भगवान राम का ननिहाल है। यहां कण-कण में भगवान राम बसे हुए हैं। भगवान राम ने वनवास का बहुत सा समय यहां व्यतीत किया है।
मंदिर स्थल पर ये होंगे निर्माण और विकास के कार्य
- चंद्रखुरी में 15 करोड़ की लागत से सौन्दर्यीकरण का कार्य कराया जाएगा।
- तालाब के बीच से होकर गुजरने वाले पुल को मजबूत किया जाएगा। साथ ही परिक्रमा पथ, सर्वसुविधायुक्त धर्मशाला और शौचालय बनाए जाएंगे।
- ग्रामीणों की मांग पर मंदिर के पास से बायपास सड़क की भी स्वीकृति प्रदान की गई है।
- चंद्रखुरी में राष्ट्रीयकृत बैंक की शाखा खोलने के निर्देश जिला अधिकारी को दिए हैं।
- भव्य मंदिर निर्माण की कार्ययोजना में परिसर में विद्युतीकरण, तालाब का सौंदर्यीकरण, घाट निर्माण, पार्किंग, परिक्रमा पथ का विकास शामिल किया गया है।
छत्तीसगढ़ सरकार भगवान राम के वन गमन मार्ग को 137.45 करोड़ रुपए की लागत से पर्यटन परिपथ के रूप में विकसित कर रही है। प्रथम चरण में 9 स्थलों का चयन किया गया है।
राम वन गमन मार्ग को पर्यटन सर्किट के रूप में विकसित कर रही सरकार
छत्तीसगढ़ सरकार भगवान राम के वन गमन मार्ग को 137.45 करोड़ रुपए की लागत से पर्यटन परिपथ के रूप में विकसित कर रही है। प्रथम चरण में 9 स्थलों का चयन किया गया है। इनमें सीतामढ़ी-हरचौका (कोरिया), रामगढ़ (अंबिकापुर), शिवरीनारायण (जांजगीर-चांपा), तुरतुरिया (बलौदाबाजार), चंद्रखुरी (रायपुर), राजिम (गरियाबंद), सिहावा-सप्तऋषि आश्रम (धमतरी), जगदलपुर (बस्तर), रामाराम (सुकमा) शामिल हैं।

छत्तीसगढ़ के 51 स्थलों पर भगवान राम ने व्यतीत किया समय
छत्तीसगढ़ का प्राचीन नाम दक्षिण कोसल है। यहां का जंगल ही दंडकारण्य वन कहलाता था। भगवान राम ने छत्तीसगढ़ में कोरिया जिले की गवाई नदी से होकर सीतामढ़ी हरचौका नामक स्थान से प्रवेश किया था। इस दौरान 75 स्थलों का भ्रमण करते हुए वे सुकमा के रामाराम से दक्षिण भारत गए। इन स्थलों में से 51 ऐसे हैं, जहां भगवान राम ने रुक कर समय बिताया।

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