
झारखण्ड-बिहार की सीमा पर बसे प्रखंड के अति उग्रवाद प्रभावित पंचायत तिलकडीह के अनुसूचित-जनजाति बहुल गांव सिजुआ के लोगाें काे आज तक कोई सरकारी योजना का लाभ नहीं मिला है। गांव के लोग पेयजल से लेकर सड़क, स्वास्थ्य, बिजली, शिक्षा सहित सभी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। बता दें कि समाज कल्याण से बाल विकास परियोजना के माध्यम से गर्भवती व धात्री महिलाओं को मिलने वाली सुविधा से भी वंचित हैं।
देवरी प्रखंड मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर सिजुआ गांव में आजतक कोई भी जनप्रतिनिधि व अधिकारी गांव जाकर ग्रामीणों की समस्या सुनने का काम नहीं किए हैं। जिससे गांव से प्रखण्ड मुख्यालय जाने के लिए वाहन से दूर लोगों को पैदल जाने के लिए भी एकबार सोचना पड़ता है। आवागमन के लिए ग्रामीणों ने श्रमदान से पथरीली सड़क बनाई है जिस सड़क पर खाली पैर चलना मुश्किल है।आज भी कुआं का गंदा पानी पीने काे विवश हैं सिजुआ गांव के ग्रामीण इस बाबत अजय मरांडी, विजय मरांडी,
बड़कू सोरेन, मार्टिन हांसदा, प्रदीप हांसदा, बड़कू मुर्मू, भैया मुर्मू, रोशन सोरेन, बुधन हांसदा, बड़का मरांडी, पानो हेम्ब्रम, मरियागरोती बेसरा, मंझली मुर्मू, बसंती हेम्ब्रम, असीमा मरांडी, रानी बेसरा सहित कई लोगों ने बताया कि जनप्रतिनिधियों की दोहरी नीति व सरकारी अधिकारियों की उदासीनता से इस गांव के लोग सभी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। आज भी गांव के लोग कुआं का गंदा पानी पीने को विवश हैं। स्वास्थ्य सुविधा नहीं रहने के कारण मरीजों को चारपाई पर टांग कर गांव से 4 किलोमीटर दूर ले जाकर मुख्य सड़क पर ऑटो से देवरी व गिरिडीह ले जाते हैं। बताया कि गांव के लोग पीडीएस का अनाज गांव से 8 किलोमीटर दूर भातुरायडीह पीडीएस से लाते हैं। यहां के बच्चे तीन किलोमीटर गरही मिशन पढ़ने जाते हैं।
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