
राजधानी के 13.6 प्रतिशत लोगों के शरीर में कोरोना से लड़ने वाले एंटीबाॅडी मिले हैं। अर्थात, वायरस का इतने लोगों का अटैक हुआ, और इन लोगों के शरीर में कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीबाॅडी बन गई, जिसने उन्हें सुरक्षित किया। यह खुलासा राजधानी में पिछले हफ्ते आईसीएमआर की तरफ से करवाए गए सीरो सर्विलांस रिपोर्ट में हुआ है। इस रिपोर्ट का आशय ये है कि राजधानी के करीब 86 फीसदी लोगों का अभी कोरोना वायरस से सामना ही नहीं हुआ। विशेषज्ञों का कहना है कि करीब 14 फीसदी लोग सुरक्षित हो गए, यह बात अच्छी है लेकिन बड़ी आबादी से वायरस अब भी दूर है और अगर इन लोगों ने सतर्कता नहीं बरती तो इन्हें वायरस का अटैक झेलना पड़ सकता है। आईसीएमआर और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन यह सर्वे पूरे देश में करवा रहा है। इसके लिए पहले चरण में रायपुर के साथ-साथ दुर्ग और राजनांदगांव को भी चुना गया था।
बड़ी आबादी से वायरस अभी दूर, सतर्कता नहीं तो और फैलेगा
जहां तक रायपुर की बात करें, यहां 492 लोगों के सीरो सैंपल लिए गए थे। दस दिन पहले लिए गए इन सैंपलों के आधार पर शुक्रवार की रात रिपोर्ट जारी की गई है। इसके मुताबिक राजधानी के 66 लोगों के शरीर में एंटीबाॅडी मिले हैं, अर्थात उनके शरीर पर जब कोरोना ने हमला किया होगा, तब उससे लड़ने के लिए एंटीबाॅडी बन गए होंगे और वे सुरक्षित हो गए। यह सैंपल उन लोगों के लिए गए, जिन्होंने टेस्ट नहीं करवाया है और कोरोना के लक्षण भी नहीं हैं। लेकिन ऐसे लोगों की संख्या ज्यादा है जो अब तक संक्रमित नहीं हुए और उनके शरीर में एंटीबाॅडी भी नहीं बने हैं। अर्थात, अगर इन पर कोरोना वायरस का हमला हुआ तो वे संक्रमित हो सकते हैं। सीरो सर्वे के तहत राजधानी के तीन क्लस्टर्स में लिए गए 492 सैंपलों में से 426 एंटीबॉडी निगेटिव और 66 पॉजिटिव पाए गए हैं। तिल्दा ब्लाॅक से लिए गए 160 सैंपलों में से 146 एंटीबॉडी निगेटिव और 14 पॉजिटिव मिले हैं। धरसींवा ब्लाॅक के 332 सैंपलों में से 280 निगेटिव और 52 पॉजिटिव मिले हैं।
तीन जिलों में औसत और कम
आईसीएमआर ने राजधानी के अलावा दुर्ग और राजनांदगांव में आम लोगों और उच्च जोखिम वर्गों के क्रमश: 517 और 504 सैंपल लिए थे। रायपुर को मिलाकर 1513 सैंपल लिए गए हैं। इनमें 8.5 प्रतिशत यानी 128 सैंपलों में एंटीबॉडीज पाई गई है। दुर्ग में 474 एंटीबॉडी निगेटिव और 43 पॉजिटिव पाए गए हैं। राजनांदगांव में 485 निगेटिव और 19 की रिपोर्ट पॉजिटिव है।
गौरतलब है, आईसीएमआर, नई दिल्ली और आरएमआरसी, भुबनेश्वर ने राज्य के स्वास्थ्य मिशन के सहयोग से 20 विकासखंडों के 60 क्लस्टर्स में सीरो सैंपल लिए हैं। इनमें आम नागरिकों के साथ ही भीड़ के बीच काम करने वाले उच्च जोखिम वाले व्यक्तियों के सैंपल भी शामिल हैं।
एक्सपर्ट - डा. निर्मल वर्मा, सदस्य कोरोना कोर कमेटी
कम लोगों में एंटीबाॅडी यानी संक्रमण रुकना मुश्किल
सीरो सर्वे रिपोर्ट के ये आंकड़े खतरे की घंटी भी हैं। तीन जिलों का औसत देखा जाए तो 5.16 फ़ीसदी लोगों में कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडी बनी है। रायपुर में कोरोना ज्यादा फैला है, इसलिए माना जा रहा था कि यहां 35-40 फीसदी लोगों में एंटीबाॅडी मिल सकते हैं। इसलिए कह सकते हैं कि यहां संक्रमण अभी रुकना मुश्किल है। कम लोगों में एंटीबॉडी बने होने के कारण कोरोना का संक्रमण आने वाले दिनों में और बढ़ सकता है। एंटीबॉडी बनने का मतलब यह है कि शरीर में कोरोना वायरस का प्रवेश हुआ और शरीर ने उसके खिलाफ लड़ने के लिए एंटीबॉडी बना दी।
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