
(चंद्रकुमार दुबे) कोरोना के चलते खुदकुशी करने वालों की संख्या दिनों दिन बढ़ रही है। मार्च 2020 से 23 सितंबर तक 182 दिनों में 361 लोगों ने खुदकुशी कर ली, जबकि 2019 में इतने ही दिनों में केवल 293 ने आत्महत्या कर जान गंवाई। बेरोजगारी व आर्थिक परेशानी की वजह से अब हर रोज औसतन दो-तीन लोग मर रहे हैं। कोरोना व लॉकडाउन का लोगों की जीवन पर व्यापक असर पड़ा है। एकाएक काम बंद होने की वजह से आत्महत्या के मामले बढ़ गए।
जिला पुलिस से मिले आंकड़े ये साबित करते हैं। 25 मार्च से शुरू हुए लॉकडाउन से लेकर अब तक यानि 182 दिनों में 361 लोगों ने आत्महत्या की। इनमें 150 बेकारी, आर्थिक संकट या फिर नौकरी छूटने से अपनी जान दे चुके हैं। वर्ष 2019 में 293 और 2018 में 187 लोगों ने अपनी मर्जी से जान दी। पिछले साल ठीक इतने ही समय व दिनों में खुदकुशी कर मरने वालों की औसत संख्या 1-2 की था। इसमें आर्थिक संकट सहित सभी मूल कारण शामिल हैं।
सुसाइड करने वालों में घर चलाने वाले अधिक
खुदकुशी करने वाले सबसे अधिक 20 से 30 साल के लोग थे। इस आयु वालों में 117 लोगों ने सुसाइड किया। इसी तरह 30-40 साल के 60 लोगों ने आत्महत्या की। दोनों ही आयु वर्ग वाले लोग अपना घर चलाते हैं और निराश होकर इनके उठाया कदम साबित करता है कि वे कोरोना काल व लॉकडाउन से काफी परेशान रहे।
कारोबार में घाटा, काम छूटना बीमारी, तनाव प्रमुख कारण
मार्च 2020 से अब तक खुदकुशी करने वालों में नौकरी छूटने से 2, कारोबार में घाटा से 2,
आर्थिक संकट और प्रेम प्रसंग की वजह से 42, पारिवारिक विवाद से 27, चरित्र पर संदेह 17,
बीमारी से 25, विवाद से 12, दहेज के कारण 3, घरेलू हिंसा से 9, पढ़ाई का दबाव से 5 ने
खुदकुशी की।
अधिक लोगों ने लगाई फांसी,दूसरे नंबर पर जहर
2019 व 2020 के 6-6 माह के आंकड़ों से पता चल रहा है कि इस दौरान 654 लोगों ने आत्महत्या की। इनमें से सबसे अधिक 352 लोगों ने अपने घर,बाड़ी व खेत में फांसी लगाई थी। इसी तरह 111 ने जहर खाया था। इसके अलावा इमारत से या नदी में छलांग, हाथ की नस काटकर, आग लगाकर, ट्रेन में कूदकर आत्महत्या की गई।
पारिवारिक कलह के चलते 31 बुजुर्गों ने छोड़ दी दुनिया
कोरोना काल में मार्च से सितंबर के बीच बुजुर्गों ने भी आत्महत्या की। इस दौरान 60-70 साल के 22 और 70 से 80 साल के 9 लोगों ने कलह के कारण अपनों का साथ छोड़ दिया। उन्होंने खुदकुशी कर ली।
परिवार के करीबी व मित्र को आगे आना चाहिए-आईजी
आईजी दीपांशु काबरा के अनुसार आत्महत्या रोकने के लिए व्यक्ति के नियर व डियर अर्थात परिवार के करीबी सदस्य व मित्रों को आगे आना चाहिए। ये लोग भले ही तनावग्रस्त की समस्या का हल नहीं कर सकते पर निराशा में डूबे व्यक्ति को उबारने में सक्षम हैं। विविध समस्याओं और नकारात्मक विचारों से घिरे व्यक्ति को समय रहते अपनों का साथ मिले तो शायद आत्महत्या की घटना को रोका जा सकता है। धार्मिक ग्रंथ और पुस्तकों के नियमित अध्ययन भी नकारात्मक विचारों को हावी होने से बचाते हैं।
नकारात्मक विचार सबसे बड़ा कारण-मनोचिकित्सक
मनोचिकित्सक डॉक्टर संदीप तिवारी कहते हैं कि आत्महत्या के लिए उकसाने में नकारात्मक विचार और तनाव सबसे बड़ा कारण है। व्यक्ति को डिप्रेशन में लाने के लिए कई कारण हो सकते हैं। समय रहते ऐसी समस्या का उपाय नहीं हुआ तो यह मन में इतना हावी हो जाता है कि खुदकुशी के विचार मन में आने लगते हैं।
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