
आकाश धनगर | पितृ पक्ष के श्राद्ध की सप्तमी बुधवार को होगी। कोरोना संक्रमण के चलते इस बार श्राद्ध पक्ष के पूजा विधान में बदलाव देखा जा रहा है। पूजा-पाठ और तर्पण के लिए लोग अब पंडितों को आमंत्रित नहीं कर रहे। इसके साथ ही पंडित भी कोरोना संक्रमित इलाकों में स्थित जजमानों के घर जाने से कतरा रहे है। इसी के साथ इस श्राद्ध पक्ष में इसका नया उपाय किया गया है। जहां लोग पंडितों से फोन पर विधि की जानकारी लेकर खुद ही पूजा-पाठ और तर्पण कर रहे है। इसके बाद अब पंडितों को घर बुलाकर खीर-पुड़ी और आदि भोज भी नहीं कराया जा रहा है। बल्कि उन्हें जजमान घर बुलाकर कच्चा राशन और हरी सब्जियां दान कर रहे है।
ज्योतिषाचार्य डॉ. दत्तात्रेय होस्केरे बताते है कि इस वर्ष कई परंपराओं पर कोरोना संक्रमण असर पड़ा है। लोग पंडितों को घर पर आमंत्रित नहीं कर रहे तो पंडित भी जजमानों के घर जाने से संकोच कर रहे है। इसके लिए नई परंपरा विकसित हो चुकी है। इसमें घरों के बाहर से ही पंडितों को कच्चे राशन का पैकेट दान किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि इसके लिए श्राद्ध में पंचमहाबलि का विधान है। यदि किसी कारणवश ब्राह्मण आने में असमर्थ हो ताे इसमें गाय, कौवा, कुत्ते और चीटियों को भोजन कराने का प्रावधान है।
पंचमहाबलि से पितृ होंगे प्रसन्न
दोपहर के समय श्राद्ध करने वालों को दक्षिण मुखी होकर हाथ में तिल, त्रिकुश और जल लेकर यथाविधि संकल्प कर पंचबलि दानपूर्वक ब्राह्मण को भोजन कराना चाहिए। गौ-बलि, श्वान-बलि, काक बलि, देवादि बलि और पिपीलाकादि बलि के रूप में पंच बलि दें। पितरों के लिए श्रद्धापूर्वक तिल, कुश व जल आदि पदार्थों के त्याग और दान कर्मों को श्राद्ध कहा जाता है। पितरों के प्रति श्रद्धा ही श्राद्ध की भावना व आधार है।
श्राद्ध पक्ष में सभी कष्टों से मिलेगी मुक्ति
असाध्य और पारिवारिक अशांति का कारण पितृ दोष को माना गया है। संतान संबंधी समस्या जैसे विवाह न होना, विकृति होना, रोजगार न मिलना और मानसिक समस्या का होना आदि पितृ दोष के कारण ही उत्पन्न होते हैं। पितृ पक्ष में पितृओं को प्रतिदिन तर्पण देने के साथ ही एक निर्दिष्ट प्रक्रिया का पालन किया जाए तो, इन सभी समस्याओं से मुक्ति अवश्य मिलेगी।
- जिस तिथि को घर के पूर्वज गुजरे हों उस तिथि को उपवास रखें और उनकी मनपसंद खाद्य सामग्री दान करें।
- सोमवार की दोपहर को काला तिल, चावल और गुड श्वेत गाय को खिलाएं और अधिक से अधिक पानी पिलाएं। गाय को प्रणाम कर अपने उन्नति व समस्या के समाधान के लिए प्रार्थना करें। इस प्रक्रिया को प्रत्येक अमावस्या दोहराएं।
- सोमवार को काली उड़द, काला छाता और पानी से भरा घड़ा किसी वृद्ध, ब्राह्मण या जरूरतमंद को दान करें। इस प्रक्रिया को पांच अमावस्या तक दोहराए। लाभ होगा।
- काली रंग की वस्तुओं का त्याग करें। अशुद्धियों से दूर रहें।
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