
फर्जी रेलवे टिकट के मामले में पिछले एक साल में 300 से ज्यादा टिकट एजेंट पकड़े गए और इनकी गहराई से जांच में रेलवे पुलिस बल (आरपीएफ) के एक्सपर्ट की टीम ने इस बात का खुलासा किया कि अधिकांश जाली टिकट चार-पांच अवैध साॅफ्टवेयर के इस्तेमाल से बनाए गए हैं। इनके नाम आरपीएफ अफसरों ने रेड मिर्ची, रियर मेंगो, आई बाॅल और रेड बुल आदि बताए गए हैं। साइबर एक्सपर्ट्स की मदद से आरपीएफ इन साफ्टवेयर की तह तक जा रही है, ताकि पता लगाया जा सके कि ये साफ्टवेयर कहां डेवलप हुए और दलालों के पास कैसे पहुंचे। संभवत: पूरे जोन में रेलवे सुरक्षा बल पहली बार साइबर मामलों की जुड़ी इस बड़ी पड़ताल में भिड़ा है।
जांच में सामने आया कि इनके लिए दलाल ऐसे अवैध साफ्टवेयर का उपयोग कर रहे हैं, जो आसानी से कंफर्म टिकट जारी कर देते हैं और यह टिकट जाली होते हैं। आरपीएफ ने करीब तीन माह की जांच के बाद ऐेसे साफ्टवेयर की पहचान कर नाम जारी किए हैं। अब इन्हें रोकने के लिए नई रणनीति से छापेमारी शुरू की जा रही है। आरपीएफ के मंडल सुरक्षा आयुक्त अनुराग मीणा ने बताया कि इनमें से रेड मिर्ची, रेड बुल, आई बाॅल इत्यादि साफ्टवेयर के स्त्रोत पकड़ में आ गए हैं।
रतलाम में पकड़ा था साफ्टवेयर
पिछले एक वर्ष में करीब 300 अवैध टिकट दलालों को पूरे जोन में गिरफ्तार किया है। उनके कब्जे से डेढ़ करोड़ रुपए मूल्य की यात्रा टिकट जब्त की गई है। कुछ दिन पहले ही एक गोपनीय सूचना पर रायपुर में अवैध साफ्टवेयर रियल मैंगो-रेयर मैंगो का इस्तेमाल कर रहे टिकट दलाल को गिरफ्तार करने का प्रयास किया गया था, जो नाकाम रहा। लेकिन बाद में जांच के बाद प्रमाणिक दस्तावेज के आधार पर रतलाम मण्डल पश्चिम रेलवे को जानकारी दी गई, तब वहां इन साफ्टवेयर का इस्तेमाल कर रहा एक दलाल आरपीएफ के शिकंजे में फंस गया।
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