छत्तीसगढ़ सरकार कोविड-19 के मामले में पूर्णतः असफल हो गई है। जनता को भगवान भरोसे छोड़ दिया गया है। अधिकारी और नेता के लिए कोरोना कोष सिर्फ बाढ़,आपदा और अकाल राहत कोष जैसा वरदान साबित हो रहा है। ये बातें पूर्व जनपद अध्यक्ष नरेन्द्र चंद्राकर ने कही। चंद्राकर ने कहा कि ग्राम सिधौरी(झलप) अकेला मामला नहीं है।
ऐसे अनेक मामले पूरे प्रदेश में देखने को मिल रहा है। सरकार और स्वास्थ्य विभाग से जनता का मोहभंग हो जाने के कारण आम आदमी अब कोरोना टेस्ट करवाने से मना कर रहे हैं।
ट्रैन टिकट की तरह आईसीयू भी वेटिंग में : अस्पताल में दिन भर मे चार टैबलेट और चार गिलास नींबू पानी के लिए लाखों का बिल कर्ज लेकर अदा कर रहे हैं। सरकार के नुमाइंदों को इसकी जानकारी देने पर भी कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। आज सरकारी, गैर सरकारी अस्पतालों में लोगों को साधारण बेड नहीं मिल रहे हैं। आईसीयू तो दूर की बात है। सामाजिक संगठन सेवा कर रहे है।
निजी अस्पताल संचालक पैसा कमाने में लगे हुए हैं। ट्रेन की टिकट की तरह आईसीयू भी वेटिंग में मिलने लगा है। सरकार के पास जब आईसीयू नहीं है तो भारतीय रेल के वातानुकूलित डिब्बे का उपयोग क्यों नहीं किया जा रहा है।
दवा की कृत्रिम कमी पैदा की गई, परेशानी बढ़ी
बढते संक्रमण से ड्रग्स,दवाई क्षेत्र में काम करने वाले लोग दवाइयों के मूल्य में भारी बढोतरी कर दिए है। इससे कमजोर और निम्न वर्ग के लोग अच्छा खासा परेशान हो रहे है। दवाइयों के बाजार में लूट मची है। स्थिति यह हो चुका है कि सरकार और प्रशासन की अनदेखी की वजह से आज दवाइयों का कृत्रित अभाव पैदा कर लोगों को लुटा जा रहा है। आपदा में भी अधिक धन कमाने का अवसर तलाश लिए हैं। उनके विरुध्द प्रशासन को कार्रवाई करनी चाहिए।
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