
केंद्र सरकार के कृषि सुधार बिल के विरोध की आग छत्तीसगढ़ तक पहुंच गई है। पंजाब और हरियाणा के बाद अब प्रदेश में भी शुक्रवार को किसान सड़क पर निकले। इस दौरान उन्होंने लॉकडाउन और कोरोना संक्रमण के नियमों का पालन करते हुए अपने-अपने घरों के बाहर और खेतों में प्रदर्शन किया। किसानों के इस विरोध को कांग्रेस ने भी समर्थन दिया है।

छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ सहित प्रदेश के 20 संगठनों ने प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर बिल के विरोध में प्रदर्शन किया। सुबह से यह प्रदर्शन शुरू हुआ और दोपहर तक प्रदेश के विभिन्न स्थानों से सूचना मिलने लगी। हालांकि सार्वजनिक स्थल पर प्रदर्शन पर रोक के चलते सांकेतिक विरोध की यह तस्वीर शाम तक साफ हो सकी।

बैनर और नारे लिखी तख्तियां लिए खेतों-पंचायतों में खड़े हुए किसान
रायपुर, राजिम, भिलाई, गरियाबंद, राजनांदगांव सहित कई जिलों में किसानों ने प्रदर्शन किया। हाथों में बैनर और नारे लिखी तख्तियां लिए किसान अपने खेतों, घरों के सामने, पंचायतों में खड़े हुए और केंद्र सरकार व प्रधानमंत्री से बिल वापस लेने की मांग की। किसानों का कहना था कि ये कांट्रेक्ट खेती नहीं चलेगी।

कांग्रेस ने कहा- किसानों को पूंजीपतियों का गुलाम बनाएगा बिल
कांग्रेस ने किसानों के समर्थन में इस बिल का विरोध किया है। कहा, किसानों के पास पूंजी नहीं आएगी, बल्कि वो पूंजीपतियों की कठपुतली बन जाएंगे। मोदी सरकार ने स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिश के अनुसार किसानों को लागत मूल्य का डेढ़ गुना समर्थन मूल्य देने का वादा किया था, लेकिन 6 साल में भी पूरा नहीं किया। किसान भी इसी कमेटी की सिफारिश को लागू करने की मांग कर रहे हैं।
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