
केंद्र के नए कृषि सुधार और श्रम कानूनों पर कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे की अध्यक्षता में सोमवार को मंत्रिमंडलीय हाईपावर कमेटी की बैठक हुई। इसमें नए केंद्रीय कानूनों से छत्तीसगढ़ के लोगों के हितों की रक्षा के लिए विधानसभा के माध्यम से कानून बनाने पर भी प्रारंभिक चर्चा हुई। कृषि मंत्री ने कहा कि संविधान में कृषि राज्य सरकार का विषय है। इस पर कानून बनाने का अधिकार राज्य सरकार का है। किसानों के हितों की अनदेखी नहीं होने दी जाएगी।
चौबे ने कहा कि केन्द्र के कृषि कानून से यदि प्रदेश की धान खरीदी व्यवस्था प्रभावित होती है तो नया कानून बनाकर किसानों के धान खरीदने की व्यवस्था की जाएगी। बैठक में विधि मंत्री मोहम्मद अकबर, नगरीय प्रशासन और श्रम मंत्री डॉ.शिवकुमार डहरिया, सहकारिता मंत्री डॉ. प्रेम साय सिंह टेकाम, खाद्य मंत्री अमरजीत भगत सहित विभागों के सचिव भी शामिल हुए। बैठक में इस बात पर भी सहमति व्यक्त की गई कि छत्तीसगढ़ के हितों की रक्षा के लिए संविधान के दायरे में रहकर विधि सम्मत कानून बनाया जाए, इसके लिए विधान सभा का विशेष सत्र आहूत की जाए। बैठक में केन्द्र सरकार के नए कानूनों से प्रदेश के किसानों, मजदूरों और गरीबों पर पड़ने वाले प्रभावों की चर्चा हुई। इनके हितों की रक्षा के लिए छत्तीसगढ में कानून बनाए जाने की स्थिति में क्या-क्या प्रावधान रखा जाए। कमेटी में इस पर जोर दिया कि प्रदेश के किसानों को उनकी उपज के क्रय-विक्रय में कोई समस्या नहीं आनी चाहिए। उन्हें उपज का वाजिब मूल्य मिलना चाहिए। बैठक में केन्द्र सरकार द्वारा आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत व्यापारियों को भण्डारण की क्षमता असीमित किए जाने से गरीब उपभोक्ताओं पर पड़ने वाले विपरीत प्रभावों की भी चर्चा हुई। बैठक में कांट्रेक्ट फार्मिंग से जमीन का भौतिक स्वरूप नहीं बदले, भूजल और बिजली का उपयोग किस तरह से हो। व्यापारियों पर राज्य शासन का किस प्रकार नियंत्रण हो। कांट्रेक्ट फार्मिंग के लिए एक साथ कितनी जमीन लिया जाना चाहिए। शेड्यूल एरिया में इनके लिए क्या प्रावधान हो सकते है, आदि के संबंध में विचार-विमर्श किया गया।
इसी प्रकार कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग से छोटे-छोटे किसानों और कम्पनियों के मध्य कोई विवाद होने पर किसानों को किस प्रकार मदद की जाए। बड़ी कम्पनियों और ट्रेडर्स से किस फार्मेट में जानकारी ली जाए। इलेक्ट्रानिक ट्रेडिंग का स्वरूप किस प्रकार होगा। मण्डी अधिनियम के तहत किन-किन नियमों का प्रावधान कर किसानों के हितों की रक्षा की जाए तथा बिचौलियों से किस तरह किसानों को गुमराह होने से बचाया जा सकता है, इस सभी विषयों पर कमेटी के सदस्यों ने सुझाव दिए।
कांग्रेस किसान हितैषी तो 72 घंटे में दे बची हुई दो किस्तें: सुनील सोनी
रायपुर सांसद सुनील सोनी ने कांग्रेस पर किसान विरोधी सरकार का आरोप लगाया है। सोनी ने कहा कि कांग्रेस सरकार में इंसानियत नहीं है। यदि जरा भी इंसानियत है और किसान हितैषी मानती है तो 72 घंटे में किसानों को धान की बची हुई दो किस्तें दे। किसान हितैषी और किसान पुत्र बताने के लिए सरकार ने जिस तरह भौंरा चलाया था, उसी तरह मजदूर 2500 के लिए घूम रहे हैं। किसान बीमा की राशि के लिए घूम रहे हैं तो बेरोजगार युवा भत्ते के लिए घूम रहे हैं। माताएं-बहनें शराबबंदी के लिए घूम रही हैं। नाबालिग और गैंगरेप पीड़ित बच्चियां न्याय के लिए घूम रही हैं। कांग्रेस भ्रम फैलाकर राज कर रही है।
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