
इस साल समर्थन मूल्य पर धान की कस्टम मिलिंग को लेकर सरकार ने नई गाइड-लाइन बनाई है। धान की कस्टम मिलिंग के बाद मिलर्स को 30 जून उपार्जन एजेन्सियों को चावल जमा कराना होगा। बस्तर एवं सरगुजा संभाग के जिलों में कांकेर जिले को छोड़कर एवं कोरबा जिले में खरीदे धान की कस्टम मिलिंग के लिए 31 मार्च तक उठाव करना जरूरी होगा। रायपुर, दुर्ग एवं बिलासपुर संभाग के जिलों में कोरबा को छोड़कर तथा कांकेर जिले में धान की कस्टम मिलिंग के लिए 31 मई तक मिलर्स को उठाव करना होगा। खरीदी केन्द्रों से धान का उठाव 28 फरवरी तक अनिवार्य रूप से करना होगा।
राज्य में धान की त्वरित मिलिंग के बाद चावल उपार्जन एजेंसी छत्तीसगढ़ स्टेट सिविल सप्लाई कॉरपोरेशन एवं भारतीय खाद्य निगम को किया जाएगा। कस्टम मिलिंग के लिए मार्कफेड द्वारा संचालित किसान राइस मिलों को धान दिया जा सकेगा। इसके लिए किसान राइस मिल का पंजीयन कराना अनिवार्य है। पंजीकृत मिल द्वारा आवेदन देने पर कस्टम मिलिंग की अनुमति कलेक्टर देंगे। मिल को एक बार में अधिकतम 4 महीने की मिलिंग क्षमता की अनुमति दी जा सकती है। अरवा मिल को सिर्फ अरवा चावल की मिलिंग के लिए अनुमति दी जाएगी। बस्तर एवं सरगुजा संभाग के जिलों में पीडीएस में अरवा चावल की जरूरतों की पूर्ति के लिए उसना मिल को भी अरवा मिलिंग की अनुमति दिए जाने का प्रावधान किया गया है। प्रदेश के अन्य जिलों में विशेष परिस्थिति में ही मार्कफेड द्वारा कलेक्टर से प्रस्ताव प्राप्त होने पर परीक्षण कर उसना मिल को अरवा मिलिंग की अनुमति दी जा सकेगी।
अंतर जिला मिलिंग में मूल जिले का जिला विपणन अधिकारी अन्य जिले के लिए डिलीवरी आर्डर जारी कर सकेगा। जिला विपणन अधिकारी द्वारा अंतर जिला मिलिंग के लिए निकट के उपार्जन केन्द्र, संग्रहण केन्द्र से धान देगा। जिला विपणन अधिकारी द्वारा डिलीवरी आर्डर करने के पश्चात 10 दिनों में धान का उठाव करेंगे। सरना धान यथासंभव अरवा मिलिंग के लिए ही दिया जाए।
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