
अप्रैल से अक्टूबर तक के सात माह में कोरोना ने जिला सहित प्रदेश के फेमिली प्लानिंग की प्लानिंग को बिगाड़ दिया है। जिले में 6206 नसबंदी के ऑपरेशन तय हुए थे, उनमें से केवल 78 ऑपरेशन हो पाए। पूरे प्रदेश में 92166 की जगह 1151 नसबंदियां हुई। पिछले साल जिम्मेदार जैसे-तैसे मिले लक्ष्य का 18% ऑपरेशन (परमानेंट नसबंदी) करवा पाए थे, वह उससे पहले के साल से 5% ज्यादा था, लेकिन इस साल सात माह में लक्ष्य 6206 का 1.25 % ऑपरेशन ही हो पाया है। अप्रैल से लेकर अक्टूबर तक कोरोना के कारण जिले से लेकर प्रदेश तक की फेमिली प्लानिंग बिगड़ गई है। 2015 से लेकर अब तक इस साल सबसे कम 1.25 % प्रगति दर्ज की गई है। 2015 में लक्ष्य का सबसे ज्यादा 35% ऑपरेशन हो पाया था। ऐसा तब भी है, जब 2011 में जिले का वार्षिक लक्ष्य (23500) था और अब आधे से भी कम है।
क्यों बिगड़े नसबंदी को लेकर हालात
प्लान सर्जरी पर रोक लगना: 23 मार्च को जिले में कोरोना का पहला मरीज मिलने के बाद से प्लान सर्जरी पर जो अघोषित रोक लगाई गई। इस वजह से नसबंदी के ऑपरेशन पूरी तरह से जिले सहित प्रदेश में बंद हो गए। क्योंकि पहले जिला अस्पताल सहित सभी सीएचसी पर इसके ऑपरेशन हुआ करते थे। मई के बाद से ये हर जगह करीब-करीब पूर्णत: बंद हो गया था।
बेहोशी का डॉक्टर नहीं होना: जिले के सरकारी अस्पतालों में बेहोशी के डॉक्टरों की कमी भी हर प्लान सर्जरी के राह में सबसे बड़ी बाधा है, क्योंकि बेहोशी के डॉक्टर के बिना कोई ऑपरेशन करना संभव नहीं है। सरकारी सेटअप में जितने डॉक्टर हैं, उनके से एक एमसीएच, दूसरे कोविड अस्पताल, तीसरी होम आइसोलेशन और चौथे सुपेला अस्पताल का प्रभार संभाल रहे हैं।
आंकड़ों से समझिए कितना कम हुआ ऑपरेशन
वर्ष | मेल | फिमेल | कुल | प्रतिशत |
2015 | 0123 | 3576 | 3699 | 59.60 |
2016 | 0040 | 2020 | 2060 | 33.19 |
2017 | 0030 | 1437 | 1467 | 23.63 |
2018 | 0016 | 1419 | 1435 | 23.12 |
2019 | 0058 | 1943 | 2001 | 32.24 |
2020 | 0000 | 0078 | 0078 | 01.25 |
नोट- आंकड़े सीएस हेल्थ की वेबसाइट से लिए गए हैं।
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फेमिली प्लानिंग और इसके क्या फायदे: किसी व्यक्ति को उनके बच्चों की संख्या को नियंत्रित करने के उपायों को फेमिली प्लानिंग कहते हैं। दो बच्चों के जन्म के बीच अंतराल रखने का निर्णय लेने में भी इससे मदद मिलती है। जनसंख्या नियंत्रण का यही प्रमुख जरिया है।
ऑपरेशन (नसबंदी) सबसे कारगर उपाय: परिवार नियोजन के अनेक उपायों में ऑपरेशन (महिला और नसबंदी) इसका सबसे कारगर उपाय है। सरकारी अस्पतालों में इसे दो तरह से अंजाम दिया जाता है। इसके लिए पहले उपाय के रूप में विधि से ऑपरेशन है, जिसमें अस्थाई तरीके से नसबंदी की जाती है, दूसरा उपाय अपनाने पर अस्पताल के डाक्टर स्थाई तौर ऑपरेशन करते हैं। ये ऑपरेशन सरकारी और निजी अस्पतालों में होते हैं। शासकीय अस्पताल में अनुदान भी मिलता है।
सीधी बात
डॉ. गंभीर सिंह, सीएमएचओ दुर्ग
सवाल - सात माह में फेमिली प्लानिंग लगभग शून्य पर पहुंच गई, क्यों?
-कोरोना की वजह फेमिली प्लानिंग के ऑपरेशन नहीं हो पाए हैं। कुछ निजी अस्पतालों ने कुछ ऑपरेशन किए हैं। जरूरी ऑपरेशन शासकीय अस्पतालों में जल्द शुरू करने की तैयारी है।
सवाल - फेमिली प्लानिंग के ऑपरेशन नहीं होंगे तो क्या कुछ दिक्कतें बढ़ सकती है?
-जनसंख्या रोकने के ट्रैम्प्रेरी उपायों के इस्तेमाल पर जोर देने की प्लानिंग पर चल रहा है। शीघ्र ही इसके लिए अभियान चलाया जाएगा। जरूरी ऑपरेशन भी करेंगे।
सवाल - दो दिनों पहले ऑपरेशन करने की जानकारी दी गई, उसमें नसबंदी है की नहीं?
-अस्पताल प्रभारियों को इसके लिए प्लान बनाने को कहा गया है। जिला अस्पताल में ओटी बन रही है। इसलिए वहां के ऑपरेशन सुपेला अस्पताल में करने के निर्देश दिए गए हैं।
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