लॉकडाउन व कोरोना काल के दौरान जहां लोग कोरोना संक्रमण से बचने एक जगह से दूसरे जगह आवाजाही में घबराते रहे। वहीं इस दौरान कोरबा पुलिस ने बच्चों के गुम होने के मामलों को संवेदनशील मानते हुए गंभीरता के साथ जोखिम लेते हुए दूसरे क्षेत्रों व अन्य राज्यों तक पहुंचकर इस साल लापता हुए 93 बच्चों की खोजबीन करते हुए 100 बच्चों को ढूंढ निकाला।
हालांकि बरामद हुए बच्चों में करीब 20 फीसदी ऐसे हैं जो पूर्व के वर्षो में लापता हुए थे। एसपी अभिषेक मीणा के दिशा-निर्देश और नोडल अधिकारी व एएसपी कीर्तन राठौर के मार्गदर्शन में अलग-अलग थानों की टीमें बनाकर लापता बच्चों की खोजबीन के लिए संभावित स्थानों पर भेजी गई थी। खोजबीन के दौरान साइबर सेल की मदद लेने के साथ ही चाइल्ड लाइन व दूसरे राज्यों की पुलिस से भी सतत संपर्क रखते हुए जानकारियां जुटाई गई। लापता बच्चों के मिलते ही पुलिस टीम द्वारा उन्हें घर तक सकुशल पहुंचाया गया।
6 साल बाद मिला पुत्र, परिवार की खुशी लौटी
दर्री थाना अंतर्गत स्याहीमुड़ी से वर्ष 2014 में 15 साल का बच्चा लापता हो गया था। जो 6 साल बाद मध्यप्रदेश के बड़वानी जिला के सेंधवा में 4 माह पहले मिला। पुलिस ने उसे परिवार से मिलाया। बालक के पिता ने बताया कि उन्होंने सोचा था कि अब उनका पुत्र नहीं मिलेगा लेकिन लॉकडाउन में पुलिस ने उनके पुत्र को परिवार से मिलाया। जिसके बाद परिवार की खुशी लौटी।
पिता से नाराजगी, डेढ़ साल बाद मिली किशोरी
उरगा थाना अंतर्गत कुदुरमाल निवासी 16 वर्षीय किशोरी को जून 2019 में पिता ने किसी बात पर डांट-फटकार लगा दी थी। इससे नाराज होकर किशोरी घर से भाग गई। जो ट्रेन में बैठकर गई और चंडीगढ़ पहुंच गई। जहां काम करते हुए वह अपना जीवन चला रही थी। पतासाजी करते हुए पुलिस वहां पहुंची और उसे दस्तायाब करके वापस घर पहुंचाई।
मजदूर परिवार की बेटी 2 साल बाद मिली
बालको नगर थाना अंतर्गत बेलगरी बस्ती की 16 वर्षीय किशोरी 2 साल पहले घर से लापता हो गई थी। परिजनों ने अपने स्तर पर खोजबीन की लेकिन वह नहीं मिली। इसके बाद पुलिस भी खोजबीन चल रही थी। लेकिन उसका पता नहीं चल रहा था। कोरोना काल में पुलिस ने किशोरी को खोज निकाला और परिवार तक पहुंचाया। परिवार ने पुलिस का शुक्र अदा किया।
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