
धर्मांतरित आदिवासियों पर हमला और उनके घरों में तोड़फोड़ करने के मामले में कोंडागांव कलेक्टर, SP और राज्य शासन से जवाब तलब किया है। मामले की सुनवाई जस्टिस P. सैम कोशी की बेंच में हुई। कोर्ट ने थाना प्रभारी को सबको सुरक्षित घर वापस भेजने का इंतजाम करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट में बताया गया कि धर्मांतरण के बाद आदिवासियों के जानमाल का खतरा है इसके कारण वे घर नहीं लौट पा रहे हैं।
यह है पूरा मामला
शिवराम पोयम ,सुखराम बघेल और अन्य 16 परिवारों के सदस्यों ने अधिवक्ता प्रवीण तुलस्यान के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की। इसमें बताया कि वे कोंडागांव जिले के ककादाबेडा, तिलियाबेडा व सिंगनपुर गांव के रहने वाले हैं। सितंबर 2020 में अपनी मर्जी से वो ईसाई धर्म अपना चुके थे। इस बात से नाराज गांव के लोगों ने 19 व 20 सितंबर को बैठक की। 20 सितंबर को ही थाने में धर्म परिवर्तन की सूचना दी गई। 22 सिंतबर को गांव वालों ने एकजुट होकर इनके घरों में हमला कर संपत्ति को बुरी तरह नुकसान पहुंचाया। 23 सितंबर को भी इसी तरह का हमला हुआ।
12 अक्टूबर को पीड़ितों ने एसपी व कलेक्टर को ज्ञापन दिया। 14 अक्टूबर को शिवराम पोयम व अन्य को ही अपराध दर्ज कर गिरफ्तार कर किया गया। बाद में एसडीएम ने जमानत दी। बाद में फिर शिवराम समेत चार को साम्प्रदायिक उन्माद भड़काने पर गिरफ्तार किया गया। इन सबको इसी दिन कार्यपालक मजिस्ट्रेट ने बेल दे दी। इस घटना के बाद गांव वालों ने इतना डराया धमकाया कि वे अपने घरों को छोड़कर चले गए।
अब दहशत में अपने घर नहीं जा पा रहे हैं। हाईकोर्ट की एकलपीठ में मामले की सुनवाई हुई। हाईकोर्ट ने मामले की संवेदनशीलता देखते हुए एसपी कोंडागांव , कलेक्टर समेत सभी प्रतिवादियों को शपथ पत्र पर लिखित जवाब देने का निर्देश दिया। शासन की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता ने अदालत को आश्वस्त किया कि एसपी कोंडागांव को इस बारे में निर्देश दिए जा रहे हैं कि याचिकाकर्ता अपने घर बिना बाधा के पहुंच सकें। उन्हें किसी भी प्रकार जान व संपत्ति खोने का भय न रहे।
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