
सोमवार को आंवला नवमी पर शहर के कई स्थानों पर महिलाओं ने आंवला पेड़ की विधिवत पूजा-अर्चना की। कई त्योहारों में प्रकृति की पूजा की परंपरा रही है। आंवला नवमी उन्हीं में से एक है। जिसमें औषधीय गुणों वाले आंवला के पेड़ की पूजा होती है।
सोमवार की सुबह श्रद्धालुओं ने आंवला पेड़ के आस-पास सफाई की और पूजन स्थल को गोबर से लीपा। इसके बाद आंवला पेड़ में मौली धागा बांधकर, अक्षत,चंदन, रोली लगाकर पेड़ की पूजा की। शहर के लक्ष्मी गुणी मंदिर परिसर, हनुमान मंदिर परिसर सहित जहां भी आंवला के पेड़ हैं वहां पूजा की गई। आंवला नवमी में गुप्त दान देने की भी परंपरा है। इसी परंपरा का निर्वहन करते हुए लोगों ने जरूरतमंदों को द्रव्य, वस्त्र आदि दान दिए। शहर सहित ग्रामीण अंचल में लोगों ने जगह-जगह आंवला वृक्ष के नीचे पूजा-अर्चना कर पेड़ की छांव में सामूहिक भोज किया। आंवला नवमी पर कई महिलाओं ने पुत्र रत्न की कामना भी की। पुत्र रत्न की कामना के लिए यह पर्व महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन लोग आंवला वृक्ष की छांव में पिकनिक भी मनाते हैं और सामूहिक भोजन भी करते हैं। कई लोग अपने परिवार सहित शहर से बाहर प्रकृति की सुरम्य वादियों में स्थित पिकनिक स्पाटों में जाकर वनभोज भी किया। जिले के रानीदाह, दमेरा, राजपुरी, गुल्लू जलप्रपात आदि स्थानों में पिकनिक के लिए भी लोग पहुंचे। वहीं आज से पर्यटक स्थलों में पिकनिक मनाने का दौर भी शुरू हो जाएगा। हालांकि कोरोना संक्रमण के कारण इस वर्ष लोगों की भीड़ कम थी।
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