
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने बॉलीवुड एक्टर आमिर खान के बयान को लेकर दायर क्रिमिनल पिटीशन को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि किसी के बयान से देश की अखंडता और सुरक्षा को खतरा है या नहीं, यह केंद्र और राज्य शासन की जांच का विषय व उनके क्षेत्राधिकार का मामला है। किसी निजी व्यक्ति को इसमें हस्तक्षेप की अनुमति नहीं दी जा सकती है।
पहले निचली अदालत में खारिज हुआ परिवाद
रायपुर के हनुमान नगर निवासी दीपक दीवान ने अभिनेता आमिर खान के खिलाफ याचिका दायर की थी। प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट की कोर्ट में परिवाद पेश किया। इसमें कहा गया था कि नवंबर 2015 में दिए गया उनका बयान से देश की अखंडता व सुरक्षा को खतरा हो गया है। यह CRPC की धारा 153A और 153B का उल्लंघन है। हालांकि मजिस्ट्रेट ने परिवाद खारिज कर दिया।
ADJ रायपुर कोर्ट ने भी क्रिमिनल रिवीजन खारिज की
मजिस्ट्रेट ने पाया कि इन धाराओं में मामले को संज्ञान लेने के लिए राज्य और केंद्र शासन से अनुमति जरूरी है। यहां ऐसा नहीं किया गया और सीधे परिवाद पेश कर दिया। इस आदेश के खिलाफ याचिकाकर्ता ADJ रायपुर के सामने क्रिमिनल रिवीजन लगाई। उन्होंने भी मजिस्ट्रेट के आदेश को सही पाया और रिवीजन खारिज कर दिया। इससे क्षुब्ध होकर याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
एक्टर के वकील ने कहा- जिन धाराओं का उल्लेख वह शासन की जांच का विषय
याचिकाकर्ता ने अधिवक्ता अमियकांत तिवारी के जरिए हाईकोर्ट में क्रिमिनल पिटिशन दायर की। इसमें कहा गया कि मजिस्ट्रेट ने प्रकरण को समझे बिना विधि विरुद्ध आदेश पारित किया है। आमिर खान का पक्ष रखते हुए अधिवक्ता ने कहा कि मजिस्ट्रेट ने जो परिवाद खारिज किया वह बिलकुल विधि अनुरूप ही किया। जिन धाराओं का उल्लेख किया गया है वह केंद्र व राज्य शासन की जांच का विषय है।
निजी व्यक्ति को हस्तक्षेप की अनुमति नहीं दी जा सकती
इस अधिकार क्षेत्र में किसी निजी व्यक्ति को हस्तक्षेप की अनुमति नहीं दी जा सकती है। ऐसे में यह क्षेत्राधिकार का अतिक्रमण होगा। मामले की सुनवाई जस्टिस संजय के. अग्रवाल की बेंच में हुई। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि न्यायिक मजिस्ट्रेट की ओर से अपराध का संज्ञान धारा 196(1)(A) और 196(1A) (A) के तहत सक्षम अधिकारी को पूर्व अनुमति बिना नहीं लिया जा सकता है।
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