
10 महिलाओं का ग्रुप कर रहा है ऑर्गेनिक फार्मिंग उत्पादन का 30 फीसदी हिस्सा किसानों को बांट देते हैं
लाेगाें की थाली तक केमिकल फ्री फूड पहुंचाने के मकसद से आदर्श महिला आत्म समूह पिछले 10 सालों से ऑर्गेनिक फार्मिंग कर रहा है। खेती के क्षेत्र में बेहतर काम के लिए इस समूह काे 2019 में सेंट्रल गवर्नमेंट की तरफ से 10 लाख का पुरस्कार मिल चुका है। समूह की दामिनी साहू ने बताया कि पहले हमने मशरूम की खेती के लिए प्रशिक्षण लिया था लेकिन ऑर्गेनिक फार्मिंग के बारे में जानने के बाद इसमें ही काम करने लगे। ग्रुप में 10 महिलाएं हैं। हम दूसरे के खेत को उनसे किराए पर लेकर जैविक खेती करते हैं। खेत में काेई केमिकल यूज नहीं करते। यूरिया की जगह गौ मूत्र का छिड़काव करते हैं। दस प्रकार के पत्तों का कीटनाशक बनाते हैं। हम कमल ग्रीन राइस भी उगाते हैं। इसके दाने हरे होते हैं। ये शुगर फ्री होता है। इसे हमने संरक्षित करके रखा है। हर साल एक एकड़ में लगभग 10 से 12 क्विंटल धान होता है, जिसमें से 20 से 30 प्रतिशत किसानों में फ्री में बांट देते हैं ताकि इसका ज्यादा उत्पादन हो सके। ये 4 साल से कर रहे हैं। ये बहुत खुशबूदार चावल है।
राज्य के किसानों को बांटतें हैं संरक्षित किस्माें के बीज, इसके लिए बनाया है खास कम्यूनिटी सेंटर

धरोहर समिति पिछले 23 सालों से धान की देसी किस्माें और बीजाें काे संरक्षित करने की दिशा में काम कर रही है। उनके पास धान की 250 से ज्यादा संरक्षित किस्म हैं। वे इन किस्माें के बीज किसानों तक फैलाने का काम भी कर रहे हैं। समिति काे इस काम के लिए नेशनल लेवल पर सम्मान और 10 लाख का पुरस्कार भी मिल चुका है। समिति के संस्थापक शिवनाथ यादव ने बताया कि पहले लोक कलाकारों के साथ मिलकर काम करता था, तब कई प्रदर्शनियों में जाया करता था। इसी दौरान मुंबई की एक संस्था से प्रेरित हाेकर धान की किस्माें काे संरक्षित करने का काम शुरू किया। 250 में से 153 पौधाें की किस्म सेंट्रल गवर्नमेंट से पंजीकृत करा चुके हैं। सभी संरक्षित किस्मों के लिए कम्यूनिटी सेंटर बनाया है, जहां सभी बीज रखे गए हैं। अभी हमारे ग्रुप में 12 एक्टिव मेंबर हैं। अब आगे महिला समूह के साथ मिलकर बड़े स्तर पर किसानाें तक बीजाें काे पहुंचाने की याेजना बना रहे हैं।
देश के पांचवें प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की जयंती पर साल 2001 से हर साल राष्ट्रीय किसान दिवस मनाया जाता है। उन्होनें अपने कार्यकाल में किसानों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए कई प्रयास किए थे।
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