
यह ढुलकी माइंस की पहली तस्वीर है। इस दुर्लभ और खूबसूरत तस्वीर को करने के लिए दैनिक भास्कर की टीम को दो दिन लगे। दुर्लभ इसलिए की इस माइंस के आसपास जहरीले जीव-जंतु बड़ी संख्या में है। जहां रुकना बेहद खतरनाक है। यहां हाथियों का भी आतंक है। यहां माइनिंग का काम शुरू हो चुका है।
नए वर्ष 2021 में कलवर-नागुर माइंस में माइनिंग शुरू करने का टार्गेट रखा गया है। दल्ली राजहरा में आयरन ओर का उत्पादन लगातार घटा है। बैकअप माने जा रहे रावघाट में भी फिलहाल प्रोडक्शन में कम से कम पांच साल और लगने का अनुमान है। ऐसी स्थिति में ढुलकी और कलवर नागुर बीएसपी के लिए संजीवनी बनकर उभरे हैं। ढुलकी में एफई कंटेंट 60% और कलवर नागुर माइंस में एफई कंटेंट 64% है। ढुलकी माइंस राजनांदगांव और कलवर नागुर माइंस कांकेर जिले में स्थित है। दोनों ही माइंस के लिए एप्रोच रोड बालोद जिले से रखा गया है। अगले 10 साल तक आयरन ओर की आपूर्ति करने में सक्षम है।
- 60 हेक्टेयर एरिया में ढुलकी माइंस की लीज ली गई है।
- 34 हेक्टेयर में आयरन ओर की माइनिंग की गई तय।
- 938 हेक्टेयर में कलवर-नागुर माइंस की लीज ली गई।
- 17 हेक्टेयर में आयरन ओर की माइनिंग होनी है। नए साल में खुदाई होगी।
- 0.46 लाख टन प्रोडक्शन ढुलकी माइंस से किया जाना तय।
- 1.0 मिलियन टन प्रोडक्शन कलवर-नागुर से तय किया गया है।
- 04 साल से चल रही प्रोडक्शन की प्रक्रिया, अब होगा काम शुरू।
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