
छत्तीसगढ़ के कांकेर में चल रहे BSF कैंप के विरोध ने बड़ा रूप ले लिया है। आदिवासियों के समर्थन में शनिवार को जनपद पंचायत अध्यक्ष, 7 जनपद सदस्य सहित 18 पंचायतों के सरपंचों ने सामूहिक इस्तीफा दे दिया। जिला प्रशासन को इस्तीफा मिलने के बाद से हड़कंप की स्थिति है। वहीं कोयलीबेड़ा क्षेत्र के 85 सरपंच सहित 120 जन प्रतिनिधि अभी इस्तीफा देने की तैयारी में हैं।
कोयलीबेड़ा ब्लॉक के करकाघाट और तुमराघाट में खुले BSF कैंप को हटाने के लिए सर्व आदिवासी समाज पिछले 4 दिनों से धरना-प्रदर्शन कर रहा है। इस प्रदर्शन में हजारों की संख्या में महिलाएं और पुरुष शामिल हैं। इसके बावजूद अब तक कोई सकारात्मक परिणाम सामने नहीं आया। ना ही प्रशासन की ओर से कोई पहल की गई। इसके बाद जनप्रतिनिधियों ने SDM राजस्व को सामूहिक इस्तीफा सौंप दिया।
देव स्थल पर लगाया गया है BSF कैंप
जन प्रतिनिधियों का कहना है कि BSF का कैंप आदिवासी धर्म स्थल पर लगाया गया है। यह पांचवीं अनुसूची का भी उल्लंघन है। आदिवासी समाज इसका 17 दिसंबर से विरोध कर रहा है। इसके बाद धरने पर भी बैठ गए, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। ऐसे में अब इस्तीफा देने के अलावा को रास्ता नहीं है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर मांग जल्द पूरी नहीं की गई तो क्षेत्र के तमाम जनप्रतिनिधि भी सामूहिक इस्तीफा देंगे।
प्रशासन ने 19 दिसंबर को 3 दिन का मांगा था समय
ग्रामीणों के 17 दिसंबर से विरोध को देखते हुए 19 दिसंबर को प्रशासन ने 3 दिन का समय मांगा था। इसके बाद भी कैंप नहीं हटा तो 23 दिसंबर को राशन, बिस्तर लेकर ग्रामीण पंखाजुर में एकत्र हो गए। आसपास के 103 गांवों के साथ ही पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र से भी आदिवासी पहुंचे हैं। वहीं SDOP मयंक तिवारी ने कहा है कि प्रतापुपर कोयलीबेड़ा मार्ग पर 82 बम बरामद होने और सुपरवाइजर की हत्या के बाद सिर्फ 14 माह के लिए कैंप खोला गया है। सड़क और पुल बनते ही कैंप हटा लिया जाएगा।
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