
राजधानी में बच्चों की नशे की लत छुड़ाने में जुटी एक संस्था ने करीब 10 माह पहले यहां के 8 मोहल्लों से ऐसे 185 बच्चों को ढूंढ निकाला, जो अलग-अलग तरह के नशे में मिले थे। सभी बच्चे 12 से 15 साल के बीच हैं और संगत-माहौल की वजह से नशे की चपेट में आ गए थे। इनकी लत छुड़ाने के लिए संस्था ने खेलकूद, डांस और काउंसिलिंग का सहारा लिया। यह प्रयोग कुछ माह में ही कामयाब रहा, जब इनमें से 27 बच्चे नशे से पूरी तरह मुक्त हो गए। इनके अलावा अगले कुछ हफ्ते में 50 और बच्चे नशामुक्त होने की राह पर हैं।
राजधानी के गोगांव, रामनगर, अशोक नगर, गुढ़ियारी, सीतानगर, ताज नगर, आमापारा, सरस्वती नगर, कोटा समेत कुछ अन्य कॉलोनियों में केंद्र सरकार के एक प्रोजेक्ट के तहत पिछले 10 माह से नशे के आदी बच्चों की पहचान की जा रही है। इनकी संगत और माहौल कैसा है, लत कैसे लगी और किस तरह का नशा कर रहे हैं, यह जानकारी संस्था - आउटरीच ड्रापइन सेंटर के वालेंटियर्स जुटाते हैं। रायपुर में इसके सेंटर इंचार्ज लक्ष्मी नारायण देवांगन ने बताया कि बच्चों से बात करने के साथ उनसे मिलते हैं, उनके परिवारवालों से बात करते हैं। उन बच्चों के समूह के साथ वहीं मोहल्ले में खेलकूद के सामान देकर उन्हें जोड़ा जाता है। इसके बाद उन बच्चों के बारे ज्यादा जानकारी जुटाकर उन्हें शंकर नगर स्थित संकल्प संस्कृति समिति के सेंटर में काउंसिलिंग के लिए भी बच्चों को हर हफ्ते लाया जाता है।
खेल-डांस से नुक्कड़ नाटक तक
पिछले साल शुरू हुए केंद्र सरकार के इस प्रोजेक्ट में राजधानी के इन इलाकों में से काफी बच्चे मिले, जो यहां अाए। सेंटर में उन्हें खेल और डांस की ट्रेनिंग दी जाती है, क्योंकि यह अधिकांश बच्चों की रुचि का विषय है। इसके साथ बच्चे धीरे-धीरे नुक्कड़ नाटक समेत अन्य गतिविधियों में भी शामिल होने लगते हैं और फिर बदलाव शुरू होता है। समिति की डायरेक्टर मनीषा शर्मा ने बताया कि सबसे अच्छी बात यह है कि छोटी उम्र के ये बच्चे खुद आ रहे हैं और नशे की लत से बाहर निकलना चाहते हैं। इनमें से कई ऐसे हैं, जिनके माता-पिता को ही उनकी लत पता नहीं है।
तीन माह में 70 बच्चे जुड़े
अलग-अलग कॉलोनियों में ऐसे नशे करने वाले 70 बच्चे पिछले तीन महीने में सेंटर से जुड़े, जिनमें बच्चियां भी हैं। ज्यादातर बच्चे लोवर और लोवर मिडिल क्लास से हैं। अधिकांश ने गुड़ाखू-नस और बीड़ी से नशा शुरू किया और कुछ दिन में गांजा-गोलियों तक पहुंच गए। सेंटर में जो बच्चे नशा छोड़ रहे हैं, उन्हें भी संस्था फ्री-हैंड नहीं दे रही है। बल्कि वालेंटियर्स लगातार संपर्क में रहते हैं, घर या मोहल्ले जाकर पूछताछ भी करते रहते हैं। इस प्रोजेक्ट में नशे से बाहर निकालने के लिए डॉक्टरी सलाह के साथ दवाई, काउंसिलिंग, खेलकूद और लिंकेज जैसी सुविधाएं निशुल्क ही हैं। सेंटर के खुलने का समय सुबह 10:30 बजे से लेकर शाम 5:30 (सोमवार से शनिवार) तक खुला रहता है |
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2Lnjrof
0 komentar