
अविभाज्य मध्यप्रदेश के जमाने में पल्स पोलियो टीके के अभियान के दौरान राजधानी रायपुर को पोलियो वैक्सीन पहुंचाने के लिए 1995 में वैक्सीन गाड़ी मिली थी। पांच साल बाद प्रदेश का बंटवारा हुआ, लेकिन यह गाड़ी यहीं रह गई। इसका नंबर अब भी एमपी-02 5240 है और पिछले 25 साल में इसी अकेली गाड़ी से छत्तीसगढ़ के कोने-कोने में करोड़ों वैक्सीन पहुंचा दिए गए। ताजा मामला ये है कि प्रदेश के लिए कोरोना वैक्सीन की पहली खेप जहां भी पहुंचेगी, वहां से राजधानी के वैक्सीन स्टोर तक यही गाड़ी वैक्सीन लेकर आएगी और फिर जगह-जगह सप्लाई के लिए ले भी जाएगी। वजह ये है कि पिछले ढाई दशक में इस गाड़ी का वह सिस्टम अपडेट है, जो अंदर का तापमान मेंटेन रखता है चाहे बाहर कितनी ही गर्मी क्यों न हो।
करीब साढ़े 500 दिन तक चलने वाले प्रदेश के कोरोना वैक्सीनेशन अभियान के दौरान इसी गाड़ी से ही क्षेत्रीय वैक्सीन स्टोरेज तक टीके पहुंचाए जाएंगे। एयरपोर्ट में पहली खेप आने के बाद इसी गाड़ी से वैक्सीन प्रदेश के स्टोरेज तक आएगी। छत्तीसगढ़ के टीकाकरण अधिकारी डॉ. अमरसिंह ठाकुर के मुताबिक कई बार वैक्सीन आने की सूचना अगर समय से बहुत पहले मिल जाती है, तो एयरपोर्ट या वैक्सीन स्टोर तक बिलासपुर, सरगुजा और जगदलपुर से गाड़ियां पहले ही बुला ली जाती हैं। उनके जिनके जरिए वैक्सीन वहां तक पहुंच जाती है। लेकिन ज्यादातर ऐसा होता है कि पुरानी गाड़ी से ही वैक्सीन दूसरे जिलों में भेजा जाता है। राज्य बनने के बाद पेंट करके इस पर लिखी मध्यप्रदेश शासन की पंक्ति को बदलकर छत्तीसगढ़ शासन किया गया। इस वैक्सीन वाहन से एक बार में लाखों वैक्सीन पहुंचाए जा सकते हैं। ये बाहरी तापमान से वैक्सीन को अप्रभावित रखता है। इसके अलावा कई बार वैक्सीन कोल्ड बॉक्स में रखकर भी भिजवाए जाते हैं।
वैक्सीन आने से पहले हुई इस पुरानी गाड़ी की जांच
इस हफ्ते कोरोना वैक्सीन आने के संकेत को देखते हुए इस पुराने वैक्सीन वाहन की पूरी जांच हुई, जरूरी कलपुर्जे भी बदले गए, ताकि वैक्सीन पहुंचाते वक्त गाड़ी में खराबी न अा जाए। अभी तक वैक्सीन पहुंचाने के लिए कुल जमा तीन तरह के रूट के जरिए प्रदेश के 28 जिलों में टीके पहुंचाए जाते रहे हैं। कोरोना वैक्सीन के लिए नए तरह का रूट प्लान भी बनाया गया है। इसके मुताबिक रायपुर को छोड़कर बाकी तीन क्षेत्रीय केंद्रों तक टीके पहुंचाए जाएंगे।
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