
चंद्रकुमार दुबे | रक्षा मंत्रालय की मोहनभाठा में 472.49 एकड़ जमीन है, पर इसका मूल नक्शा नहीं होने के कारण सीमांकन में कठिनाई आ रही है और इसका फायदा भूमाफिया उठा रहे हैं। जमीन के कई बड़े हिस्से पर उन्होंने कब्जा जमा लिया है। इधर छोटे-बड़े जमीन दलाल खरीद फरोख्त कराने में जुटे हुए हैं। दस्तावेज दुरुस्त नहीं होने के कारण डिफेंस के अफसरों को अपनी जमीन की सीमाओं का पता नहीं चल पा रहा है।
द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान रक्षा मंत्रालय ने मोहनभाठा में वायुसेना का बेस कैंप बनवाया था। यहां पर ब्रिटिश शासनकाल के समय की हवाईपट्टी थी। उस दौरान 472.49 एकड़ जमीन रक्षा मंत्रालय के रक्षा संपदा विभाग के नाम पर दर्ज की गई थी। युद्ध के बाद वायुसेना की फोर्स यहां से हटा ली गई थी। उसके बाद से जमीन ऐसी ही पड़ी है। धीरे-धीरे इस पर ग्रामीणों ने कब्जा करना शुरू कर दिया है। सन् 1986-87 के राजस्व रिकॉर्ड में यह जमीन 472 एकड़ की बताई जा रही है, जिसमें पीपरतराई, मोहनभाठा, भरारी, अमने और टाडा गांव की जमीन शामिल है। अधिकांश जमीन पर अब कब्जा हो गया है। ग्रामीण वहां खेती तो कर ही रहे हैं। भूमाफिया सक्रिय हैं। जमीन के कई बड़े हिस्से को उन्होंने घेर लिया है। इधर दलाल भी जमीन की खरीद फरोख्त करा रहे हैं।
70 साल बाद भी निर्माण के अवशेष, हवाई पट्टी पर धान खरीदी केंद्र
दैनिक-भास्कर ने मोहनभाठा सहित अन्य गांवों का दौरा किया तो पाया टांडा में 70 साल बाद भी हवाईपट्टी के निर्माण का अभी भी अवशेष हैं। इसमें अब सरकारी धान खरीदी केंद्र है। आसपास मकान बने हुए है। गांव की अधिकांश आबादी इसी जमीन पर बसा हुआ है। ग्रामीणों से पता चला अधिग्रहण से पहले यह जमीन उनकी ही थी। स्थानीय राजस्व विभाग के अधिकारियों ने बताया कि रक्षा मंत्रालय ने समय रहते जमीन के कागजात दुरुस्त नहीं कराए जिसके कारण ग्रामीणों ने फिर से कब्जा जमा लिया। मोहनभाठा में भी ऐसा ही कुछ देखने को मिला। एक बड़े हिस्से पर फार्म हाउस हैं। ग्रामीणों के बताया आश्रम भी रक्षा मंत्रालय की ही जमीन पर बना है।
पांच साल पहले वायु सेना के अफसर आए थे
कोटा-बिलासपुर रोड पर स्थित मोहनभाठा में वायुसेना ने हेलीकॉप्टर से सर्वे किया था। तत्कालीन अफसर अजय शुक्ला सहित अन्य सैन्य अफसर यहां उतरे थे और एसडीएम से राजस्व रिकॉर्ड मांगा था। अभी तक यह रिकार्ड उपलब्ध नहीं कराया जा सका।
जवानों को प्रशिक्षण और हवाई ट्रेनिंग के लिए सर्वे
चकरभाठा में सेना के बेस कैंप में जवानों को सभी तरह की ट्रेनिंग दी जाएगी। सैन्य प्रशिक्षण में हवाई ट्रेनिंग भी शामिल है। रक्षा मंत्रालय की वायुसेना विंग मोहनभाठा की हवाई पट्टी का उपयोग जवानों को प्रशिक्षण देने में करना चाहते हैं। कई बार सर्वे किया। अभी भी जारी है।
अधिग्रहण प्रक्रिया अधूरी थी कब्जा हटाने में है दिक्कत
ब्रिटिश सरकार के जाने के बाद जमीन का अधिग्रहण नियमानुसार नहीं हुआ। रक्षा मंत्रालय ने दस्तावेज दुरुस्त नहीं कराए। इससे कब्जा शुरू कर दिया। राजस्व विभाग के अधिकारियों का कहना है कि प्रक्रिया अधूरी है। नामांतरण नहीं हो पाया और सीमांकन भी नहीं हो पा रहा है।
माफियाओं से बचाने सरकार ने 150 एकड़ में कराया प्लांटेशन
रक्षा मंत्रालय की खाली पड़ी जमीन पर भूमाफियाओं के कब्जे को देखते हुए राज्य सरकार ने 150 एकड़ पर प्लाटेंशन कराया है। यहां पर पेड़ पौधे लगाए गए हैं जो अब जंगल बन गया है।
तत्कालीन कमिश्नर ने जमीन वापस देने की थी अनुशंसा
अभिलेख दुरस्त नहीं होने के कारण जिले के तत्कालीन कमिश्नर ने ग्रामीणों को उनकी जमीन वापस देने की अनुशंसा कर दी थी। आदेश में उन्होंने लिखा है कि यहां मूल रूप से हवाई पट्टी थी। बाकी खाली जमीन था। किसान को इसे नीलाम कर वापस कर देना चाहिए।
जिला प्रशासन से मांगा गया है दस्तावेज-एसडीओ
रक्षा मंत्रालय के भू-संपदा विभाग के एसडीओ अनंत का कहना है कि रक्षा मंत्रालय की जमीन के दस्तावेज के संबंध में कलेक्टर व एसडीएम से पत्राचार चल रहा है। पटवारियों की हड़ताल के कारण देर लग रही है। नक्शा हमारे पास अच्छी स्थिति में नहीं है। इसे रिकार्ड शाखा से मांगा गया है। वायुसेना अपने हिस्से की जमीन चिह्नांकित कर भविष्य के लिए सुरक्षित रखना चाहती है। इसका उचित उपयोग किया जाएगा।
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