
केंद्र सरकार के कृषि संबंधित तीन कानूनों के विरोध में दिल्ली जा रहे छत्तीसगढ़ के किसानों का जत्था देर शाम आगरा पहुंच गया। उत्तर प्रदेश की सीमा में पुलिस ने उन्हें दो बार रोकने की कोशिश की, लेकिन बातचीत से ही गतिरोध दूर हो गया। किसानों की योजना देर रात दिल्ली पहुंच जाने की है।
दिल्ली का घेरा डालकर बैठे किसानों में शामिल होने के लिए छत्तीसगढ़ किसान-मजदूर महासंघ की अगुवाई में करीब 300 किसान गुरुवार को रायपुर से रवाना हुए। भाटागांव स्थित अंतरराज्यीय बस अड्डा परिसर से स्थानीय किसान नेताओं ने 3 ट्रकों और 4 कारों में सवार इस जत्थे को रवाना किया। यह जत्था मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश होते हुए दिल्ली जा रहा है।
जत्थे की अगुवाई कर रहे अखिल भारतीय क्रांतिकारी किसान सभा के राज्य सचिव तेजराम विद्रोही ने बताया, उनकी गाड़ियां रायपुर से लगातार चलते हुए मध्य प्रदेश की सीमा तक पहुंची। चिल्फी घाटी के पास सड़क किनारे गाड़ियां रोककर सभी ने रात का खाना खाया। उसके बाद गाड़ियां रातभर चलती रहीं। सुबह ललितपुर में हुईं। वहां स्नान कर नाश्ता किया गया।
ग्वालियर के पास डभरा स्थित एक गुरुद्वारे में दोपहर का भोजन और थोड़ा आराम करने के बाद जत्था फिर से आगे बढ़ गया। तेजराम विद्रोही ने बताया, मुरैना के पास पुलिस ने गाड़ियों को रोककर पूछताछ की। थोड़ी देर बातचीत के बाद गतिरोध खत्म हो गया और जत्था आगे बढ़ा। एक टोल बूथ पर उन्हें फिर रोका गया। लेकिन पुलिस ने कोई जबरदस्ती नहीं की।

केंद्र सरकार पर भड़के किसान संगठन
किसानों के साथ केंद्र सरकार की आठवीं दौर की वार्ता विफल होने से छत्तीसगढ़ के किसान संगठन भड़क गए हैं। छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ के संयोजक मंडल सदस्य तेजराम विद्रोही, पारसनाथ साहू, रूपन चंद्राकर, सौरा यादव, वीरेंद्र पांडे, मनमोहन सिंह सैलानी, गौतम बंदोपाध्याय और डॉ. संकेत ठाकुर ने कहा, केंद्र सरकार देश के किसानों के साथ नहीं है। वह वार्ता को अनावश्यक लंबी करके किसानों का वक्त बर्बाद कर रही है ताकि उनका हौसला टूट जाए।
किसान नेताओं ने कहा, मोदी सरकार को अब तो समझ में आ जाना चाहिए कि आंदोलन जितना लंबा होगा उतना ही मजबूत होगा। जब छत्तीसगढ़ से भी किसानों के जत्थे दिल्ली रवाना हो रहे हैं तो इसे कुछ ही राज्यों के किसानों का आंदोलन बताना सरकार की भूल होगी। किसान नेताओं ने कहा, अब यह आंदोलन तभी समाप्त होगा जब मोदी सरकार तीनों काले कानून को वापस लेगी।
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