
जिले में शनिवार को एक कोयल की मौत हो गई। इसके बाद जिला बर्ड फ्लू को लेकर हाईअलर्ट मोड में आ गया है। इसके एक दिन पहले ही बर्ड लू को लेकर पशु चिकित्सा विभाग ने बैठक की थी।
जिसके बाद मैदानी अमले को इस पर नजर रखने मैदान में उतार दिया गया है। इसके साथ ही महाराष्ट्र से आने वाली पोल्ट्री को रोकने पखांजूर इलाके के रास्तों को भी सील कर वहां कर्मचारी तैनात कर दिए गए हैं। भानुप्रतापपुर में शनिवार सुबह एक कोयल मरी हुई मिली। जिसकी सूचना मिलते ही एसडीएम भानुप्रतापपुर प्रेमलता मंडावी व पशु चिकित्सा विभाग की टीम भी मौके पर पहुंची।
कोयल के शव को बरामद किया। आसपास तलाशी ली गई लेकिन यहां अन्य कोई दूसरा पक्षी मरा हुआ नहीं मिला। कोयल की मौत बर्ड फ्लू संक्रमण से हुई है या फिर कोई अन्य का कारण से स्पष्ट नहीं हुआ है। जांच के लिए मृत कोयल को पोस्ट मार्टम के लिए नमूने के तौर पर रायपुर के डीआई लेब भेजा गया है। रिपोर्ट से ही कोयल की मौत के कारणों का खुलासा होगा।
बर्ड फ्लूू को लेकर पशु चिकित्सा विभाग हाई अलर्ट मोड पर है। बर्ड फ्लूू को देखते हुए विभाग पूरी तैयारी लिया है। इसे लेकर सभी जगह आदेश जारी कर कर्मचारी अधिकारियों की ड्यूटी लगा कहा गया है कि जांच करें कि कहीं कोई पक्षी या मुर्गी मरे पड़े हुए तो नहीं है।
चिकन-मटन की नहीं होती जांच
जिले में कहीं भी मांस विक्रेताओं द्वारा काट कर बेची जाने वाले मुर्गे व बकरों की जांच नहीं होती। पोल्ट्री फार्म वाले भी इसी तरह मरी हुई मुर्गियों को फार्म के अंदर बने मछली पालन वाले तालाबों आदि में फेंक खत्म कर रहे हैं। जिससे वर्तमान में इसकी जांच नहीं हो पा रही है। बाजार में बकरे का मांस भी विभाग के सलाटर हाऊस की प्रक्रिया से होकर नहीं गुजरता है। जांच नहीं होने से बीमार बकरों को भी काट कर बेच दिया जाता है।
दहशत बढ़ी तो खपत हुई कम
दो दिन पूर्व पड़ोसी जिले बालोद में कौवों के मरने की घटना सामने आई। लेकिन इनकी भी मौत कारण स्पष्ट नहीं है। इस घटना के बाद से जिले में बर्ड लू को लेकर दहशत बढ़ती जा रही है। जिससे अब बाजार में चिकन की बिक्री घट गई है। हालांकि विक्रेता जिले में बर्ड फ्लू जैसे किसी भी बात से इंकार कर रहे हैं। लेकिन स्थिति को देखते हुए अब माल भी ज्यादा स्टाॅक में नहीं मंगवा रहे हैं।
सैंपल नहीं, मृत पक्षी का होगा पोस्टमार्टम
जिले में अबतक कहीं भी मुर्गियों का न तो ब्लड सैंपल लिया गया और न ही बुखार की जांच की गई है। विभाग की माने तो ब्लड सैंपल लेने से अच्छा है कि मरे हुए पक्षी या मुर्गे का पोस्ट मार्टम कराया जाए। इसलिए विभाग ने अपील भी कि है कि कहीं भी पक्षी या पोल्ट्री फार्म में मुर्गियां मरती है तो तत्काल इसकी सूचना विभाग को दें।
जानें क्या है बर्ड फ्लू?
एवियन इंफ्लूएंजा या एवियन फ्लू को बर्ड फ्लू कहते हैं जो एच5एन1 वायरस से पक्षियों में फैलने वाला रोग है। संक्रमित पक्षी के संपर्क में आने से यह रोग इंसानों को भी हो जाता है। पक्षी चाहे मरा हो या जिंदा दोनों से ही रोग फैलने का खतरा रहता है। संक्रमित पक्षी को खाने से भी यह रोग हो सकता है। अगर आप पानी में तैर रहे हैं और उस पानी में कोई संक्रमित पक्षी भी रहा है तो इससे भी बर्ड फ्लूू हो सकता है।
हालांकि इससे मुर्गी, बतख, मोर, चिकन आदि पक्षी में तेजी से संक्रमित होते हैं। बर्ड फ्लू एक खास तरह का श्वास रोग होता है जिसमें गले में खराश, खांसी, निमोनिया, बुखार, मांसपेशियों में दर्द, जैसे लक्षण देखने को मिलते हैं। इससे मौत तक हो जाती है।
बर्ड फ्लू को लेकर विभाग अलर्ट
पशु चिकित्सा विभाग के उपसंचालक एलपी सिंह ने बताया कि पड़ोसी राज्यों में बर्ड फ्लूू के संक्रमण की जानकारी मिलते विभाग को अलर्ट कर दिया गया है। भानुप्रतापपुर में कोयल की मौत हुई है। मौत का सही कारण जानने उसका पोस्ट मार्टम कराया जा रहा है। महाराष्ट्र से आने वाले मार्ग पर पोल्ट्री के लिए नाकेबंदी की गई है।
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